Sunday, February 16, 2025

Ae Gunhegaar (ऐ गुनहगार

  गुनहगार, गुनहगार,

क्यों गाफिल सोता है

अब जाग कि तेरा मददगार,

योशु बुलाता है

में मानता हूं, में जानता हूँं,

कि यीशु मुंजी है;

और उसके साथ, हां

उसके हाथ,

आसमान की कुंजी है

 

गुनहगार, बेकस, लाचार

दिन गुजरा जाता है,

अब हो नजात का तलबगार,

यीशु बुलाता है

 

गुनहगार अब हो बेदार

क्यों दुःख में रहता है ?

अगरचि तू है खताकार,

यीशु बुलाता है

 

गुनहगार, बे-करार,

क्यों मरना चाहता है ?

बे-शक्क गो तू है गुनहगार,

यीशु बुलाता हे

 

गुनहगार, क्यों है बेजार ?

तू क्यों शरमाता है ?

देख कैसा यह अजीब पियार !

योशु बुलाता है

 

गुनहगार, हो ताबेदार,

क्यों फ़ज़ल खोता है ?

अब देख, यह फिर एक पिछलीबार

योशु बुलाता है

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