दिल के दाग को धोवे कौन?
लहू जो कि क्रूस से जारी
मरे मर्ज को खोवे कौन!
लहू जो कि क्रूस से जारी।
वह चश्मा है मामूर,
दाग दिल के करता दूर,
है मुझको फिर मंजूर
लहू जो कि क्रूस से जारी।
मेरे मर्ज़ का शाफ़ी है,
लहू जो कि क्रूस से जारी,
मुआफ़ी को वह काफी है,
लहू जो कि क्रूस से जारी।
वह है मेरे कर्ज़ का दाम,
लहू जो कि क्रूस से जारी,
वह मेरा खास इनाम,
लहू जो कि क्रूस से जारी।
दुःख तकलीफ़ में है पनाह,
लहू जो कि क्रूस से जारी,
वह है मेरे घर की राह,
लहू जो कि क्रूस से जारी।
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